tag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post2143232922046517263..comments2023-08-04T13:12:04.095+05:30Comments on लगभग ब्लॉग: अखबार की खबरें और जोर का झटका...सोमेश सक्सेना http://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-7046342482880501782011-02-12T06:47:01.300+05:302011-02-12T06:47:01.300+05:30मनोहर श्याम जोशी ने कुछ इस तरह कहा है- कितना हास्...मनोहर श्याम जोशी ने कुछ इस तरह कहा है- कितना हास्यास्पद है यह त्रास और कितना त्रासद है यह हास्य.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-741708751656246012011-02-06T22:40:32.954+05:302011-02-06T22:40:32.954+05:30मजेदार पोस्ट!मजेदार पोस्ट!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-14712458010046217452011-01-25T07:00:28.668+05:302011-01-25T07:00:28.668+05:30उस बेचारे पति के लिए तो भारतीय क़ानून में त्वरित तल...उस बेचारे पति के लिए तो भारतीय क़ानून में त्वरित तलाक का प्रावधान है|Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-31004666590469615212011-01-23T21:22:32.570+05:302011-01-23T21:22:32.570+05:30@ ManPreet Kaur
शुक्रिया जी।
@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’
...@ ManPreet Kaur<br />शुक्रिया जी।<br /><br />@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’<br />संतोष त्रिवेदी जी सलाह पर ध्यान दे चुके हैं। धन्यवाद।<br /><br />@ राजीव थेपड़ा<br />आप जो भी करें पर हमारा धन्यवाद जरूर ले लें।<br /> <br />@ काजल कुमार<br />आपकी दोनो बात से सहमत हैं सर, आभार।सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-77209899546326591922011-01-23T15:57:36.068+05:302011-01-23T15:57:36.068+05:30भोपाल की ख़बर भी खूब रही....
ऐसा प्रनोट पढ़ कर भी ...भोपाल की ख़बर भी खूब रही....<br />ऐसा प्रनोट पढ़ कर भी अगर इस जोकर के सिर प्यार का भूत न उतरा था तो फिर उसको सहना ही चाहिये.<br /><br />बाक़ी अख़बारों का क्या है ...चोरी—डकैती—लूट बगैहरा की ख़बरों में मेहनत भी नहीं लगती न....गर कहीं विकास/अविष्कार बगैहरा के बारे में लिखना पड़ जाए तो पसीना भी निकल जाता है न...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-85979263118901962842011-01-21T17:04:26.407+05:302011-01-21T17:04:26.407+05:30hmmmmmmmmm......soch rahaa hun ki kyaa kahun.....i...hmmmmmmmmm......soch rahaa hun ki kyaa kahun.....in saahab ji ke haalaat par hansu yaa inhen saantvanaa doon.....राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-70835381460202900792011-01-20T16:32:25.111+05:302011-01-20T16:32:25.111+05:30सोमेश भाई, मुझे तो संतोष त्रिवेदी जी सलाह सबसे सही...सोमेश भाई, मुझे तो संतोष त्रिवेदी जी सलाह सबसे सही लग रही है। इसपर ध्यान दिया जाए।<br /><br /><br />---------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।</a><br /><a href="http://ss.samwaad.com/" rel="nofollow">सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-38108710659751947942011-01-20T13:38:49.834+05:302011-01-20T13:38:49.834+05:30aacha blog hai aapka.... good post
keep visiting...aacha blog hai aapka.... good post<br /><br /><br />keep visiting My Blog Thanx... <br /><a href="http://lyrics-mantra.blogspot.com" rel="nofollow">Lyrics Mantra</a><br /><a href="http://musicboll.blgspot.com" rel="nofollow">Music Bol</a>ManPreet Kaurhttps://www.blogger.com/profile/17999706127484396682noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-68363592007907951032011-01-19T15:27:46.610+05:302011-01-19T15:27:46.610+05:30@ एस.एम.मासूम
आपका अखबार तो हमने कभी पढ़ा नहीं पर ...@ एस.एम.मासूम<br />आपका अखबार तो हमने कभी पढ़ा नहीं पर ’अमन का पैगाम’ चलता रहे यही दुआ है।<br /><br />@ डॉ. नूतन जी<br />आपका डर ज़ायज है। डरता मैं भी हूँ पर अखबार पढ़ना नहीं छोड़ूंगा। ब्लॉग पर पधारने और विचार व्यक्त करने के लिए हार्दिक आभार।<br /><br />@ अंशुमाला जी<br />सच में बहुत लोग अखबार नहीं पढ़ते, जाने क्यों? इस खबर से सबक तो कई लोगो ने लिया ही होगा। वैसे आप सच कह रही हैं खबरों में चाट मसाला काफी डाला जाता है।<br />यहाँ पधारने और विचार व्यक्त करने के लिए हार्दिक आभार।<br /><br />@ ZEAL (डॉ. दिव्या जी)<br />चलिए हमारा लिखा पढ़के आपको कुछ तो याद आया। लिखना सार्थक हो गया। :)<br /><br />@ विनायक दुबे<br />इतना भी मत डरो यार, शर्तें तो तुम्हारी पूरी की जाएंगी। ऐसा योग्य लड़का कहाँ मिलता है आजकल :)<br /><br />तुम्हारा गणित जबरदस्त है। इंजीनियर बुद्धि लगा ही ली। :)सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-41171938330649925992011-01-19T15:25:29.388+05:302011-01-19T15:25:29.388+05:30@ उपेन्द्र ' उपेन'
धन्यवाद उपेन जी।
@ सं...@ उपेन्द्र ' उपेन' <br />धन्यवाद उपेन जी।<br /><br />@ संजय भास्कर <br />आदरणीय संजय जी<br />नमस्कार !<br />बहुत बहुत आभार।<br /><br />@ हरकीरत ' हीर' जी<br />"दुआ है ऐसी नौबत कभी न आये ...और आपमें ये आपसी अंडरस्टेंडिंग बनी रहे .... "<br /><br />आमीन...! शुक्रिया :)<br /><br />@ सुब्रमणियन जी<br />धन्यवाद सर, आपका चुटकुला झकास है। :)<br /><br />@ चला बिहारी...(सलिल जी)<br />बिहारी जी आपका डिस्क्लेमर सही है जी पर हमारे नाम के आगे जी लगाकर हम पर ज़ुल्म न करें जी।<br /><br />ध्यान रखिएगा सलिल जी।सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-60786406021462455512011-01-19T14:42:21.099+05:302011-01-19T14:42:21.099+05:30जी हाँ इस ख़बर ने तो मुझे डरा ही दिया था..क्योंकि ...जी हाँ इस ख़बर ने तो मुझे डरा ही दिया था..क्योंकि मैं तो अभी कुंवारा हूँ और आने वाले ३ साल तक रहने का इरादा है..अब इस दौरान कितनी शर्तों का इजाफा हो जायेगा कह नहीं सकता.. :)<br />बहरहाल ये शानदार प्रस्तुति है..और ये जिस पर बीती है उससे पूरी सुहानुभूति है..लेकिन हमारे लिए रोज़ की हिंसक अथवा "दिलदेहलाऊ" खबरों से इतर ये खबर मनोरंजक भी थी और सावधान करने वाली भी :) :) <br />वैसे मुझे एक गणित मिला इसमें- अँधा कानून होता है और प्यार अँधा होता है..इस समीकरण से हमें मिला...प्यार कानूनी होता है .. :P :D <br />बढ़िया प्रस्तुति के लिए बधाई :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14768624206625093191noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-40522467526087599782011-01-19T12:48:56.695+05:302011-01-19T12:48:56.695+05:30.
मुकेश जी के गाने की एक पंक्ति याद आ रही है --
....<br /><br />मुकेश जी के गाने की एक पंक्ति याद आ रही है --<br /><br />" मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया ..."<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-39220424296738785292011-01-19T12:11:38.162+05:302011-01-19T12:11:38.162+05:30सारी टिप्पणी पढ़ने के बाद पता चला रहा है की कितने ...सारी टिप्पणी पढ़ने के बाद पता चला रहा है की कितने लोग अखबार पढ़ने से भागते है | ये खबर ब्लॉग जगत में ही कही पढ़ी थी ये सबक उन लोगों के लिए है जो प्यार को मजाक समझते है और मजाक में ही शादी कर लेते है | कुछ सर्ते तो मुझे सही लगी बल्कि लड़की ने गलिमत की कि कहा की मुझसे पूछ कर पियोगे मतलब पीने की छुट तो दी नहीं तो कुछ लोग पीने क्या देखने की भी छुट नहीं देते है | एक बात और बताऊ अख़बार में इस तरह कि खबरे पूरी सच नहीं होती है उसमे अपनी तरफ से काफी चाट मसाला डाला जाता है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-89796909840405560592011-01-19T09:54:00.886+05:302011-01-19T09:54:00.886+05:30बेहद सुन्दर आलेख... मै तो अखबार पढ़ने से डरती हूँ.....बेहद सुन्दर आलेख... मै तो अखबार पढ़ने से डरती हूँ... सुबह सवेरे ..कैसी खबर हो जो दिल दुख जाए... और आज आपका आलेख देख तो अच्छा लगा और वो बात भी सच्ची है जो कोमिक और ट्रेजडी का वातावरण बनाती है ..और उस बेचारे पे भी दया आ रही है जी विचित्र शर्तों पर शादी कर बैठा ...डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-22591770527946849962011-01-18T02:59:39.805+05:302011-01-18T02:59:39.805+05:30अखबार मैं तो क्या पढ़ें यही समझ मैं नहीं आता. सम्प...अखबार मैं तो क्या पढ़ें यही समझ मैं नहीं आता. सम्पादकीय चलेगा. अधिक बोला तो अपना अखबार बिकना बंद .एस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-25242986972230708332011-01-17T19:31:46.202+05:302011-01-17T19:31:46.202+05:30अख़बार से शायद आपका अभिप्राय उस पिलपिले काग़ज़ पर छपी...अख़बार से शायद आपका अभिप्राय उस पिलपिले काग़ज़ पर छपी काले अक्षर वाली वस्तु से है जो मुझे भैंस बराबर दिखाई देती है, और सुबह सुबह ही अमारे ऑफिस वालों की कृपा से घर पर आ धमकती है, तो भाई साहब इस वस्तु से हमारा कोई सम्बंध नहीं. वैसे पत्नियाँ महीने दो महीने में इसके ज़रिये अपनी ऊपरी कमाई बना लेती हैं.<br />रही बात चुटकुलों की तो अपने चार लाईनाँ वाले तो पत्नी जी से ही अपनी बात शुरू करते हैं और डिस्क्लेमर ये कि जिनसे वो डरते हैं उनके नाम के आगे “जी” लगाते हैं. है न, सोमेश जी!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-42719116342983562272011-01-17T18:49:52.851+05:302011-01-17T18:49:52.851+05:30सुन्दर मनोरंजक आलेख. कभी कभी ऐसा भी होता है:
Husb...सुन्दर मनोरंजक आलेख. कभी कभी ऐसा भी होता है:<br />Husband: aaj khane mein kya banaogi?<br /><br />Wife: Jo aap kaho<br /><br />H: Dal chawal bana lo<br />W: Abhi kal hi to khaye the<br /><br />H: to sabji roti bana lo<br />W: bacche nahi khayenge<br /><br />H: to chhole puri bana lo<br />W: mujhe heavy heavy lagta hai<br /><br />H: eggs bhurji bana lo<br />W: aaj guruvaar hai<br /><br />H: paraanthe?<br />W: raat ko paraanthe kaun khata hai??<br /><br />H: Hotel se mangwa lete hain?<br />W: roz roz hotel ka nahi khana chahiye<br /><br />H: kadhi chawal?<br />W: dahi nahi hai<br /><br />H: idly sambar?<br />W: usme time lagega.pehle bolna chahiye tha na!!<br /><br />H: maggi hi bana lo, usme time nahi lagega<br />W: woh koi meal thodi hai? Pet nahi bharta<br /><br />H: phir ab kya banaogi?<br />W: wo jo aap kahoP.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-91602439434397364152011-01-17T17:34:17.464+05:302011-01-17T17:34:17.464+05:30शुक्र ये है कि इसे पढ़कर मुझे डर नहीं लगा कि ऐसा म...शुक्र ये है कि इसे पढ़कर मुझे डर नहीं लगा कि ऐसा मेरे साथ भी हो सकता है क्योंकि संयोग से मैं पहले से ही शादीशुदा हूँ और सौभाग्य से मैंने ऐसी किन्ही शर्तों पर शादी नहीं की है। फिर हमारी आपसी अंडरस्टेंडिंग इतनी बुरी नहीं है कि ऐसी नौबत आए।<br /><br />दुआ है ऐसी नौबत कभी न आये ...और आपमें ये आपसी अंडरस्टेंडिंग बनी रहे ....<br /><br />मुझे तो सबसे सही वजह यही लगती है कि आम तौर पर हास्य के लिए वो परिस्थितियाँ बनाईं जाती हैं जो वास्तविक नहीं हैं याने सच्चाई के उलट और अतिशयोक्ति से भरी हुई। अब यदि पति के बजाए पत्नी को पीड़ित बनाया जाए तो शायद ये हास्य (comic) नहीं बल्कि त्रासद (tragic) हो जाएगा।<br /><br />सही कहा ....या फिर बहुत कम प्रतिशत में ऐसा होता होगा ....<br />पर मेरी नज़र में तो अधिकतर त्रासदियाँ ही गुजरीं ....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-34093416503944481902011-01-17T17:28:14.720+05:302011-01-17T17:28:14.720+05:30आदरणीय सोमेश जी
नमस्कार !
बढ़िया पोस्ट है मज़ा आया...आदरणीय सोमेश जी<br />नमस्कार !<br />बढ़िया पोस्ट है मज़ा आया पढ़कर.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-76454351348608366452011-01-17T17:17:24.410+05:302011-01-17T17:17:24.410+05:30सोमेश जी ..... शादी शर्तों पर .........अच्छी लगी य...सोमेश जी ..... शादी शर्तों पर .........अच्छी लगी ये प्रस्तुति.सहमत आपके विचारों से.उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-42140404305998690802011-01-17T16:15:17.661+05:302011-01-17T16:15:17.661+05:30@ निशांत
सही कहा आपने अक्सर प्रेम करनेवाले बहुत सन...@ निशांत<br />सही कहा आपने अक्सर प्रेम करनेवाले बहुत सनकी हो जाते हैं। पर वो प्यार ही क्या जो शर्तों पर किया जाए? :)<br />बहुत आभार और धन्यवाद<br /><br />@ अविनाश वाचस्पति<br />साहित्य और संपादकीय पेज तो पढ़ते ही हैं सर पर ये होता ही कितना है? और यदि समाचार न पढें तो समाचार पत्र पढ़ने का औचित्य ही क्या है। :)<br /><br />@ अरविंद मिश्रा<br />मिश्रा जी निश्चिंत रहें संवेदना बटोरकर झोली फैलाने वालों में मैं नहीं हूँ, ऐसा तो हरगिज़ नहीं करूँगा। चुटकुलों पर आपके विचार महत्वपूर्ण हैं। आभार।<br /><br />@ प्रवीण पाण्डेय<br />सात शर्तें तो सभी मानते हैं पर सात बजे के बाद क्यों घर जाना चाहते हैं आप? जल्दी जाने में डर लगता है क्या? :) :)<br /> <br />@ अन्तर सोहिल (अमित गुप्ता जी)<br />सही कह रहे हैं आप नारी जाति ने चुटकुले/व्यंग्य कम ही लिखे हैं। पर इसका कारण क्या हो सकता है ये भी तो सोचें। :)सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-8983337925683627392011-01-17T15:59:14.707+05:302011-01-17T15:59:14.707+05:30@ सतीश पंचम
ज्यादातर हास्य कवि पत्नी को ही टार्गेट...@ सतीश पंचम<br />ज्यादातर हास्य कवि पत्नी को ही टार्गेट करते हैं और आप क्या बहुत से लोग नहीं घुस पाएंगे। :)<br />आभार।<br /><br />@ संतोष त्रिवेदी<br />अपनी रुचि के समाचार तो पढ़ते ही हैं पर बाकियों पर भी नज़र चली ही जाती है। आप सही कह रहे हैं यह सौदा ही है।<br /><br />@ अरूण साथी<br />धन्यवाद अरुण जी :)<br /><br />@ मो सम कौन (संजय जी)<br />न्यूज़ मीडिया के बारे में बिल्कुल सही कहा आपने।<br />’एग्रीमेंट’ जरूर देखेंगे, आपने सज़ेस्ट किया है तो देखना ही पड़ेगा। :)<br /><br />@ विशाल मुलानी<br />शुक्रिया बंधु :)सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-81965053990776114432011-01-17T12:01:52.350+05:302011-01-17T12:01:52.350+05:30अखबार अब नेट पर ही पढते हैं जी
वैसे मैं बताऊं, मै...अखबार अब नेट पर ही पढते हैं जी<br /><br />वैसे मैं बताऊं, मैनें अपनी शादी में पण्डित को बोल दिया था कि जो हमारी शर्तें होंगी हम बाद में आपस में मशविरा कर लेंगे आप टाईम खोटी मत करो :)<br /><br />पत्नियां खुद पति को एक चुटकुला समझती हैं :) और नारी जाति ने चुटकुले/व्यंग्य कम ही लिखे हैं शायद इसलिये।<br /><br />लाफ्टर, कॉमेडी आदि प्रोग्राम्स भी आपने देखे होंगे, कितनी महिलायें हंसा पाई हैं?<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-12810840712630212322011-01-17T11:30:09.262+05:302011-01-17T11:30:09.262+05:30सात शर्तें तो हमने भी लीं। सात बजे के बाद आने वाली...सात शर्तें तो हमने भी लीं। सात बजे के बाद आने वाली, होनी चाहिये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-4439082243432370202011-01-17T08:37:04.147+05:302011-01-17T08:37:04.147+05:30बंद=बंदाबंद=बंदाArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com