tag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post872990623754849914..comments2023-08-04T13:12:04.095+05:30Comments on लगभग ब्लॉग: मातृभूमि और राष्ट्रभक्ति...सोमेश सक्सेना http://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-50667221504192988082011-02-14T19:36:58.713+05:302011-02-14T19:36:58.713+05:30अनेकता में एकता.अनेकता में एकता.राजेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/02628010904084953893noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-50810920873576894572011-02-12T00:14:04.880+05:302011-02-12T00:14:04.880+05:30सीमित नागरिकता के बावजूद मेरे पास असीम राष्ट्र है
...सीमित नागरिकता के बावजूद मेरे पास असीम राष्ट्र है<br />और असीम मातृभूमि<br />मुझे आल्पस से भी उतना ही प्यार है जितना हिमालय से<br /><br /><br />हम जितने ही मिश्रित होंगे<br />उतने ही कम अकेले और कम खतरनाक होंगे.<br /><br />sahi kaha.....sangthan me hi shakti hai...........CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-70814194587354909502011-02-09T09:29:56.822+05:302011-02-09T09:29:56.822+05:30सुन्दर कविता, व्यवहारिक सलाह!सुन्दर कविता, व्यवहारिक सलाह!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-40364208245302555542011-02-06T22:26:16.003+05:302011-02-06T22:26:16.003+05:30बहम जितने ही मिश्रित होंगे
उतने ही कम अकेले और कम ...<b>बहम जितने ही मिश्रित होंगे<br />उतने ही कम अकेले और कम खतरनाक होंगे.</b><br /><br />बहुत खूब! बहुत अच्छा लगा इस कविता को पढ़कर! शुक्रिया पढ़वाने के लिये।अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-12825714825531377862011-02-05T17:49:58.811+05:302011-02-05T17:49:58.811+05:30आप सभी टिप्पणीकारों का हार्दिक आभार... :)आप सभी टिप्पणीकारों का हार्दिक आभार... :)सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-40217889610281674242011-02-04T22:08:25.633+05:302011-02-04T22:08:25.633+05:30बहुत सुंदर रचना जी धन्यवादबहुत सुंदर रचना जी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-51351406186174606732011-02-04T13:22:59.945+05:302011-02-04T13:22:59.945+05:30बहुत सी श्रद्धा | बहुत सी मातृभूमि | बहुत सी राष्ट...बहुत सी श्रद्धा | बहुत सी मातृभूमि | बहुत सी राष्ट्रभक्ति वाले भी<br />मुझे कहीं न कहीं क़ैद कर देना चाहते हैं.<br /><br /><br />wahh...kya khoob baat hai na....shukriya ise padhane ke liye :)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-28595409007679185012011-02-02T21:29:03.969+05:302011-02-02T21:29:03.969+05:30व्याख्याएं तो अनन्त हैं -महाजनों एन गतः सा पन्था ...व्याख्याएं तो अनन्त हैं -महाजनों एन गतः सा पन्था !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-83752632442438543952011-02-02T18:20:19.220+05:302011-02-02T18:20:19.220+05:30विश्वबंधुत्व की सम्यक दृष्टि!!
या कहुँ सम्मिश्रण क...विश्वबंधुत्व की सम्यक दृष्टि!!<br />या कहुँ सम्मिश्रण की स्वतंत्र दृष्टि!!<br /><br />आभार इस प्रस्तुति के लियेसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-13458430534839844412011-02-02T13:44:46.464+05:302011-02-02T13:44:46.464+05:30रचना वाकई प्रश्ंानीय है बधाई
रचना पढवाने के लिए धन...रचना वाकई प्रश्ंानीय है बधाई<br />रचना पढवाने के लिए धन्यवादDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-72529719832514182152011-02-01T14:10:09.549+05:302011-02-01T14:10:09.549+05:30अनेकता में एकता ही हमारा ध्येय होना चाहिए। लीलाधर...अनेकता में एकता ही हमारा ध्येय होना चाहिए। लीलाधर जी की कविता हर काल में समसामयिक ही रहेगी।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-34238062286841806102011-01-31T11:34:46.758+05:302011-01-31T11:34:46.758+05:30हम जितने ही मिश्रित होंगे
उतने ही कम अकेले और कम ख...हम जितने ही मिश्रित होंगे<br />उतने ही कम अकेले और कम खतरनाक होंगे.<br />बहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश देती है रचना।लीलाधर जी की कलम को सलाम। धन्यवाद इसे पढवाने के लिये।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-18813806383065457392011-01-31T09:25:20.421+05:302011-01-31T09:25:20.421+05:30सोमेश जी!!लीलाधर जगूड़ी जी का परिचय देने .. और उनकी...सोमेश जी!!लीलाधर जगूड़ी जी का परिचय देने .. और उनकी यह रचना यहाँ प्रकाशित कर आपने बड़ा उपकार किया है!<br />धन्यवाद्शिवाhttps://www.blogger.com/profile/14464825742991036132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-80379858533084581362011-01-30T23:45:15.294+05:302011-01-30T23:45:15.294+05:30जगूड़ी जी वैसे भी पर्याप्त ख्यातनाम हैं।
ये कविता...जगूड़ी जी वैसे भी पर्याप्त ख्यातनाम हैं।<br /><br />ये कविता पहली बार पढ़ी, अच्छे ख्याल हैं।<br /><br />थैंक्स सोमेश, शेयर करने के लिये।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-11402667561289355192011-01-30T22:34:19.894+05:302011-01-30T22:34:19.894+05:30ek bahut achchi rachna padhwane ke liye dhanywad.ek bahut achchi rachna padhwane ke liye dhanywad.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-88200110209974221822011-01-30T17:27:28.456+05:302011-01-30T17:27:28.456+05:30सोमेश जी!!वास्तव में लीलाधर जगूड़ी जी परिचय के मोहत...सोमेश जी!!वास्तव में लीलाधर जगूड़ी जी परिचय के मोहताज नहीं.. और उनकी यह रचना यहाँ प्रकाशित कर आपने बड़ा उपकार किया है! वसुधैव कुटुम्बकम को उजागर करती एक बेहद सम्वेदनशील रचना है यह!!नमन इस महान कवि को!!और आभार आपका इस प्रस्तुति के लिये!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-72251409223167083142011-01-30T12:50:08.851+05:302011-01-30T12:50:08.851+05:30गाँधी-परिनिर्वाण दिवस पर यह रचना अपनी तरह से नया स...गाँधी-परिनिर्वाण दिवस पर यह रचना अपनी तरह से नया सन्देश देती है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3381985713389164109.post-29768095947560853382011-01-30T10:02:36.782+05:302011-01-30T10:02:36.782+05:30सम्यक दृष्टि भावशून्यता और भावाधिक्य के बीच की।सम्यक दृष्टि भावशून्यता और भावाधिक्य के बीच की।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com