एक थे बाबाजी। फक्कड़ टाइप के थे, जंगल में रहते थे। इनका नियम था कि रोज सुबह उठते ही डटकर भोजन करते थे। इसके बाद स्नान करते थे फिर दातुन आदि करते थे और उसके बाद शौच निवारण के लिए जाया करते थे। किसी ने पूछा महाराज सब तो पहले नित्य कर्म निपटाते हैं फिर स्नान करके भोजन ग्रहण करते हैं तो आप ये उलटा क्रम क्यों अपनाए हुए हैं? बाबा जी ने जवाब दिया -"भाई ये सारे नियम तो लोगों के बनाए हैं हम क्यों इन्हें अपनाएँ? हम तो अपना नियम खुद ही बनाते हैं, और वैसे भी जब ज़माना ही उल्टा है तो उल्टे चलने में ही भलाई है।"
ये तो था "अवधड़ बाबा का अवधड़ ज्ञान, पहले भोजन फिर स्नान" पर मैं सोच रहा हूँ की ज़माना तो सचमुच उल्टा ही है तो क्यों न कभी कभी उल्टा ही चलकर देखा जाए। आखिर औरों से कुछ हटकर तो होना ही चाहिए।
मसलन जैसे यदि कभी आप 'नो पार्किंग' में गाड़ी खड़ी कर दें तो पुलिस वाला आएगा गाड़ी उठा ले जाएगा या चालान काट देगा। आप आयेंगे, मिन्नतें करेंगे और पैसे देकर अपनी गाड़ी छुडायेंगे। इससे तो बेहतर है कि जाते ही पहले पुलिस वाले को सौ का नोट पकड़ाओ और शान से अपनी गाड़ी नो पार्किंग में टिका दो।
या पहले अपनी बीवी को कोई अच्छा सा तोहफा दो, आठ- दस बार उससे माफी मांगो और फिर जमकर झगड़ा करो। जो बीवी से झगड़ने के बाद करना है वो पहले ही कर लो।
ब्लॉग जगत में भी ये उल्टा चक्कर चलाया जा सकता है. जैसे कि-
# लोग टिप्पणी के बाद अपना लिंक छोड़ते हैं तो क्यों न ये किया जाए कि पहले तो अपने चार पांच लिंक टिकाएं जाएं फिर उसके नीचे एक लाइन की टिप्पणी चिपका दी जाए।
# हम पहले पोस्ट पढ़ते है ( या देखते हैं) फिर टिप्पणी देते हैं कभी यही करें कि पोस्ट आने से पहले ही टिप्पणी दे डालें. कुछ इस तरह-
आदरणीय/ प्रिय ............ जी आप कल/ परसों/ नरसों जो पोस्ट करने वाले हैं वह बहुत उम्दा है। मुझे बहुत ही अच्छा लगेगा। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए मेरी अग्रिम बधाईयाँ स्वीकार करें। धन्यवाद।
( वैसे भी लिखना तो यही है और पोस्ट पढ़ना किसने है ) :)
तरीके और भी हो सकते हैं। आप सोचिये और तब तक मुल्ला नसरुद्दीन का एक किस्सा ही सुन लीजिये-
तो हुआ यूं कि एक बार मुल्ला नसरुद्दीन ने एक लड़के को बुलाया और एक मिट्टी का घड़ा देते हुए कहा- "जा कुँए से पानी भर कर ला और खबरदार जो तूने मटका फोड़ा, यदि ऐसा किया तो तेरी खैर नहीं" और इसी के साथ लडके को एक कसके झापड़ रसीद कर दिया. लडके के जाने के बाद एक बन्दे ने पूछ ही लिया के भाई लड़के ने घड़ा तो फोड़ा ही नहीं फिर तूने उसे झापड़ क्यों मारा?
मुल्ला नसरुद्दीन ने जवाब दिया "घड़ा फूटने के बाद मारता तो क्या घड़ा वापस जुड़ जाता?"
...............................................................
सर्वप्रथम आप सभी को होली की रंग बिरंगी शुभकामनाएं.....
आप सभी महानुभावों ने इस पोस्ट को पढ़ा और अपनी बहुमूल्य टिप्पणी से इसे नवाज़ा इसके लिए आप सभी का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
जवाब देंहटाएंहम औघड़ थोडे ही है………
जवाब देंहटाएंशानदार व्यंग्य है…एकरसता के लिये…
निरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक
बढ़िया व्यंग्य है .. यही नहीं .. परसों की आपकी कविता भी बेहद शानदार रहेगी :)
जवाब देंहटाएंआदरणीय/ प्रिय .....सोमेश जी....... जी आप कल/ परसों/ नरसों जो पोस्ट करने वाले हैं वह बहुत उम्दा है. मुझे बहुत ही अच्छा लगेगा. इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए मेरी अग्रिम बधाईयाँ स्वीकार करें. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंहोली का रंग चढ़ाने के लिये धन्यवाद..
मैंने बिना पढ़े ही टिपिया दिया है. :)
Are! Hamne to post padh lee! "Wo" walee baat to aapne pahle kah denee thee!Ha,ha!
जवाब देंहटाएंMazedar wyang!
पढ़ने के बाद ही टिप्पणी लिखते हैं, वैसे आपकी अगली पोस्ट भी अच्छी होगी।
जवाब देंहटाएंtip hamesha hotel main gusate samay deni chahiye...seva karvane ke baad bhale hi thenga dikha ke nikal lo...mulla ke vichar bhi prshanshaniya hain...
जवाब देंहटाएंमुझे तो टिप्पणी पसंद आयी
जवाब देंहटाएंAaj to post ke saath saath tippani me bi maza aaya
जवाब देंहटाएंaapki aane wali post achchhi nahi lagi is liye badhai swikar na kare (jamana ulta hai to tippani bhi ulti)
holi ki hardik shubhkamnaye
"अवधड़ बाबा का अवधड़ ज्ञान, पहले भोजन फिर स्नान" - सुबह सुबह ’मेरा नाम जोकर’ की याद दिला दी:)
जवाब देंहटाएंसोमेश सक्सेना, नीरज, भारतीय नागरिक और सबसे ज्यादा दीपक सैनी की टिप्पणी ने मजा दे दिया।
मैं कया सोणयो, ’मार सुट्टया।’
उम्दा प्रस्तु्ति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट
टिप्पणी पहले ही कर दी है, अब पोस्ट पढूँगा जी:)
प्रणाम
अगली होली पर आप जो सीधी टिप्पणी लिखेंगे उसके लिए उल्टी टिप्पणी हाजिर है1
जवाब देंहटाएंहाहाहा.. एकदम बढ़िया और अनूठा आइडिया है जी... मजा आ गया.. अगली पोस्ट की बधाई आपको... :)
जवाब देंहटाएंसोमेश जी,
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग है.....................ब्लॉग में तो खूब चलेगा.
वाह! जैसा शानदार व्यंग, वैसी ही बढ़िया टिप्पणियाँ।
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को होली की ढेरों शुभकामनाएं।
यह झापड़ सही रहा ...
जवाब देंहटाएंहोली पर शुभकामनाये सोमेश !
होली पर आपने सही फ़रमाया.'सार्थक लेखन,उम्दा विचार,आदि टिप्पणियां तो लगता है कॉपी ,पेस्ट की जाती हैं.कुछ ही लोग हैं जो पढ़कर टीपते हैं.
जवाब देंहटाएंवैसे क्या लगता है ,मैंने आपकी पोस्ट पढ़ी है ?
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
जवाब देंहटाएंआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
जवाब देंहटाएंआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।
शानदार व्यंग्य है|
जवाब देंहटाएंहोली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
होली का त्यौहार आपके सुखद जीवन और सुखी परिवार में और भी रंग विरंगी खुशयां बिखेरे यही कामना
जवाब देंहटाएंआपको पूरे परिवार सहित होली की बहुत-बहुत शूभकामनाएँ.......jai baba banaras....
जवाब देंहटाएंआपके प्छिले पोस्ट पर हमारी टिप्पणी को इसपोस्ट का एडवांस मान लें, चलेगा(प्रश्न वाचक).
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य है .
जवाब देंहटाएंअरे सोमेश भाई अच्छा हुआ आपने अगली पोस्ट नहीं लिखी वरना मेरी टिप्पणी पुरानी हो जाती.. मेरी तरफ से साल की चुनिन्दा टिप्पणी स्वीकारें अपनी आने वाले पोस्ट पर:
जवाब देंहटाएंअद्भुत, रोचक, सराहनीय, प्रेरक, लेखन में धार दिख रही है.. (जो पसंद ना हों उसे काट दें, चाहे तो सभी रख सकते हैं)
मगर आपकी चाल हम भांप गए.. एक बड़े कलाकार से किसी ने पूछा था की आपका बेहतरीन अभिनय कौन सा है, तो उनका जवाब था, "अगला"..
तो इंतज़ार रहेगा..
शब्दों के मारक बाण हैं आपके खजाने में, बहुत अच्छा लगा पढ़कर।
जवाब देंहटाएंजनाब नसरुददीन जी का किस्सा भी पसंद आया और आपका धार दार व्यंग्य भी । टिप्पणीकारों पर भी और व्लागर्स पर भी।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंघुमाकड़ हूँ घूमते हुए आप के ब्लॉग पर कुछ देर रुक गया
जवाब देंहटाएंऔर अब अनंदित होकर निकल पड़ा हूँ
नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग्य है .
जवाब देंहटाएंश्री सोमेशजी,
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से आपकी नई पोस्ट देखने में नहीं आ रही है । छुट्टियां कुछ लम्बी हो गई लगती हैं । कृपया कम से कम दो पोस्ट का तो महिने में सिलसिला बनाये रखने का प्रयास अवश्य करें । धन्यवाद सहित...
सार्वजनिक जीवन में अनुकरणीय कार्यप्रणाली
होनहार
:) :)
जवाब देंहटाएंबरबस मुस्कान आयी होठों पर ..
यह नया जीवन दर्शन वाकई अपनाने लायक है
नयनाभिराम
जवाब देंहटाएंमैं अगली पोस्ट की दुबारा मुबारक बाद दे रहा हूँ मगर वह आएगी कब ??
जवाब देंहटाएं:-)
आदरणीय/ प्रिय ............ जी आप कल/ परसों/ नरसों जो पोस्ट करने वाले हैं वह बहुत उम्दा है। मुझे बहुत ही अच्छा लगेगा। इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए मेरी अग्रिम बधाईयाँ स्वीकार करें। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं:)
Na saathi na humsafar hai koi,
जवाब देंहटाएंNa kisike hum na hamara hai koi,
Par aapko dekh ke keh sakate hai,
Ek pyaara sa dost hamara bhi hai koi.
आप हमारे ब्लॉग पर पधारे और हमे फोलो किया...
जवाब देंहटाएंइसके लिए आपका बहुत आभार....
शुक्रिया तहे दिल से
:-)
सादर.