लगभग ब्लॉग
शनिवार, 1 जुलाई 2017

बदबू (लघुकथा)

›
उसे ऑफिस जाने के लिए देर हो रही थी। जल्दी से कमरे में ताला लगाकर वह सड़क पर आया। बाहर बारिश हो रही थी। अपना छाता खोलकर वह कीचड़ से बचते हुए स...
45 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 8 मार्च 2014

लडकियाँ खुश हैं (?)

›
वि श्व महिला दिवस पर दो झलकियाँ: 'एक'  वह लड़की अपने भाई-बहनों में सबसे होशियार थी. बचपन से पढाई में अव्वल थी. नृत्य, संगीत और ...
28 टिप्‍पणियां:
मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

कहीं तो होगी वो दुनिया

›
क हीं तो होगी वो, दुनिया जहाँ तू मेरे साथ है.... जहाँ मैं, जहाँ तू और जहाँ बस तेरे-मेरे ज़ज्बात हैं... लड़के ने गुनगुनाना शुरू किया ही था ...
5 टिप्‍पणियां:
रविवार, 24 नवंबर 2013

एक नयी शुरुआत

›
को ई सात साल पहले मैं हिंदी ब्लॉग जगत से परिचित हुआ था। पढ़कर खुद भी ब्लॉगिंग करने की इच्छा हुई तो मैंने भी ब्लॉग बना लिया। तब कबीर का एक प...
25 टिप्‍पणियां:
गुरुवार, 17 मार्च 2011

उल्टा है जमाना उल्टे चलो

›
एक थे बाबाजी। फक्कड़ टाइप के थे, जंगल में रहते थे। इनका नियम था कि रोज सुबह उठते ही डटकर भोजन करते थे। इसके बाद स्नान करते थे फिर दातुन आदि ...
39 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 5 मार्च 2011

तेरा क्या और मेरा क्या?

›
अस्सी और नब्बे के दशक में दूरदर्शन में ऐसे अनेक कार्यक्रम आया करते थे जिन्हें याद करके किसी का भी नॉस्टेलजिक हो जाना स्वाभाविक है ।  मेरा...
45 टिप्‍पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

कुछ मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
सोमेश सक्सेना
भोपाल, मध्य प्रदेश, India
थोड़ा बहुत लिख लेता हूँ पर न तो इतनी प्रतिभा है न समर्पण कि खुद को लेखक कह सकूँ। हाँ "लगभग लेखक" अवश्य हूँ। इस अक्षमता के कारण ब्लॉगिंग भी कायदे से नहीं कर पाता हूँ इसलिए "'लगभग ब्लॉगर" भी हूँ। और अपने बारे में क्या कहूँ? मैं न तो बहुत अच्छा हूँ, न बहुत बुरा। न बहुत ईमानदार हूँ और न ही बहुत बेईमान। कोई बड़ा आदमी भी नहीँ हूँ। एक बहुत ही साधारण व्यक्ति हूँ बस। प्रकृति, कला, संस्कृति, साहित्य से विशेष लगाव है।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.