सर्वप्रथम सभी साथियों और वरिष्ठजनों को नववर्ष 2011 की अग्रिम शुभकामनाएँ... आप सभी के लिए आने वाला यह साल मंगलमय रहे यही कामना करता हूँ आज प्रस्तुत है मेरी एक पुरानी ग़ज़लनुमा रचना। हालांकि मेरे लिए तो यह ग़ज़ल ही है पर उस्तादों के लिए जाने क्या हो। उम्मीद है आप इसकी कमियों से मुझे अवगत कराएँगे।
फिर सुनाओ यार वो लम्बी कहानी
भूल न जाएँ कहीं कल की निशानी
तुम तो जी लोगे मगर उनका भी सोचो
रोज कुआं खोद जो पीते हैं पानी
फूल से ज्यादा उगा रक्खे हैं काँटे
जाने कैसी कर रहे वे बागवानी
आपको लगता है आप हैं फ़रिश्ता
आपको भी हो गई है बदगुमानी
उनको कुछ भी याद अब आता नहीं
हमको बातें याद हैं सारी पुरानी
और लोगो को भले फुसला ही लो
खुद से तुम न कर सकोगे बेईमानी
जियो ऐसे कि मिसालें दें सभी
फिर भले ही दो घड़ी हो जिंदगानी
-सोमेश सक्सेना
भूल न जाएँ कहीं कल की निशानी
तुम तो जी लोगे मगर उनका भी सोचो
रोज कुआं खोद जो पीते हैं पानी
फूल से ज्यादा उगा रक्खे हैं काँटे
जाने कैसी कर रहे वे बागवानी
आपको लगता है आप हैं फ़रिश्ता
आपको भी हो गई है बदगुमानी
उनको कुछ भी याद अब आता नहीं
हमको बातें याद हैं सारी पुरानी
और लोगो को भले फुसला ही लो
खुद से तुम न कर सकोगे बेईमानी
जियो ऐसे कि मिसालें दें सभी
फिर भले ही दो घड़ी हो जिंदगानी
-सोमेश सक्सेना
जियो ऐसे कि मिसालें दें सभी
जवाब देंहटाएंफिर भले ही दो घड़ी हो जिंदगानी..
नये साल में जिंदगी को नये आयाम देने के लिए प्रेरक पंक्तियाँ..
आपकी कलम से एक और उम्दा कृति..
आपको भी नया साल मुबारक.. :)
धन्यवाद..
सुन्दर पंक्तियाँ... नए साल का सुन्दर आगाज़ करती..
जवाब देंहटाएंआपको भी नए साल की शुभकामनाएँ
आभार
"एक लम्हां" पढने ज़रूर आएं ब्लॉग पर
प्रिय बंधुवर सोमेश सक्सेना जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
आपकी विनम्रता काबिले-तारीफ़ है …
सच है, ग़ज़लनुमा अवश्य है आपकी यह रचना । और मैं जानता हूं , आपके लिए मानदंडों पर खरी उतरने वाली ग़ज़ल लिखना अधिक मुश्किल भी नहीं ।
बहरहाल , भाव के दृष्टिकोण से बहुत उम्दा पंक्तियां हैं ये -
फूल से ज्यादा उगा रक्खे हैं काँटे
जाने कैसी कर रहे वे बागवानी
और लोगो को भले फुसला ही लो
खुद से तुम न कर सकोगे बेईमानी
जियो ऐसे कि मिसालें दें सभी
फिर भले ही दो घड़ी हो जिंदगानी
वाह वाऽऽह !
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~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
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शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
फूल से ज्यादा उगा रक्खे हैं काँटे
जवाब देंहटाएंजाने कैसी कर रहे वे बागवानी
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
सोमेश जी
आपकी विनम्रता काबिल -ए- तारीफ है ....इस गजल का हर एक शब्द गहरे भावों का सम्प्रेषण करता है ...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के ..इस प्यारी सी गजल के लिए बधाई
फूल से ज्यादा उगा रक्खे हैं काँटे
जवाब देंहटाएंजाने कैसी कर रहे वे बागवानी.......काबिले-तारीफ़
आपको भी नया साल मुबारक.. :)
जियो ऐसे कि मिसालें दें सभी
जवाब देंहटाएंफिर भले ही दो घड़ी हो जिंदगानी..
नववर्ष की आप को भी बधाई .. इस पंक्ति ने मन मोह लिया.
फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी
रमिया काकी
बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना वाकई तारीफ के काबिल है .
जवाब देंहटाएं* किसी ने मुझसे पूछा क्या बढ़ते हुए भ्रस्टाचार पर नियंत्रण लाया जा सकता है ?
हाँ ! क्यों नहीं !
कोई भी आदमी भ्रस्टाचारी क्यों बनता है? पहले इसके कारण को जानना पड़ेगा.
सुख वैभव की परम इच्छा ही आदमी को कपट भ्रस्टाचार की ओर ले जाने का कारण है.
इसमें भी एक अच्छी बात है.
अमुक व्यक्ति को सुख पाने की इच्छा है ?
सुख पाने कि इच्छा करना गलत नहीं.
पर गलत यहाँ हो रहा है कि सुख क्या है उसकी अनुभूति क्या है वास्तव में वो व्यक्ति जान नहीं पाया.
सुख की वास्विक अनुभूति उसे करा देने से, उस व्यक्ति के जीवन में, उसी तरह परिवर्तन आ सकता है. जैसे अंगुलिमाल और बाल्मीकि के जीवन में आया था.
आज भी ठाकुर जी के पास, ऐसे अनगिनत अंगुलीमॉल हैं, जिन्होंने अपने अपराधी जीवन को, उनके प्रेम और स्नेह भरी दृष्टी पाकर, न केवल अच्छा बनाया, बल्कि वे आज अनेकोनेक व्यक्तियों के मंगल के लिए चल पा रहे हैं.
रोज कुआं खोद जो पीते हैं पानी
जवाब देंहटाएंखुद से तुम न कर सकोगे बेईमानी
ओहो, क्या खूब, जबरदस्त मिसरे लगे ये सोमेश भाई| बधाई स्वीकार करें|
हमारे ब्लॉग्स से भी जुड़ें
http://thalebaithe.blogspot.com
http://samasyapoorti.blogspot.com
आपका कार्य प्रशंसनीय है, साधुवाद !
जवाब देंहटाएंहमारे ब्लॉग पर आजकल दिया जा रहा है
बिन पेंदी का लोटा सम्मान ....आईयेगा जरूर
पता है -
http://mangalaayatan.blogspot.com/2010/12/blog-post_26.html
@ विनायक दुबे,
जवाब देंहटाएंउम्दा कृति तो क्या बस कामचलाउ है। तुमने हमेशा मेरा उत्साह वर्धन किया है। बहुत आभार एवं धन्यवाद।
@ प्रतीक माहेश्वरी
स्वागत, अभिनंदन एवं आभार प्रतीक भाई।
@ राजेन्द्र जी,
मेरी इस ग़ज़लनुमा रचना को पसंद करने के लिए आभार। कोशिश करुंगा और बेहतर लिखने की।
@ केवल राम
रचना को पसंद करने के लिए आभार।
@ अनीता जी
बहुत बहुत शुक्रिया आपका।
@ उपेन्द्र 'उपेन' जी
जवाब देंहटाएंस्वागत, अभिनंदन एवं आभार।
@ Zeal ( डॉ. दिव्या जी)
बहुत आभार आपका।
@ पुष्पा बजाज जी,
आभार, आपके विचार महत्वपूर्ण हैं।
@ नवीन चतुर्वेदी जी
रचना को पसंद करने के लिए आभार एवं धन्यवाद।
@ मनोज जी
शुक्रिया आपका। आते हैं आपके ब्लॉग पर।
आप सभी को पुनः नववर्ष की शुभकामनाएँ...
सोमेश जी, उस कहानी का इंतजार तो सभी को रहता है। बहुत प्यारी गजल कहीं, हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
क्या कहने साहब ।
जवाब देंहटाएंजबाब नहीं निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
बेहतरीन ग़ज़ल सोमेश भाई, बधाई।
जवाब देंहटाएंखुद से बेईमानी करनी पड़े, भगवान काश वह दिन न दिखाये।
जवाब देंहटाएंइस गजल का हर एक शब्द गहरे भावों का सम्प्रेषण करता है| शुभकामनाएँ|
जवाब देंहटाएं@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’
जवाब देंहटाएं@ राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ
@ नवीन गुप्ता
@ प्रवीण पाण्डेय
@ Patali-The-Village
आप सभी का आभार।
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित...
सोमेश
nice /..
जवाब देंहटाएंPlease Visit My Blog..
Lyrics Mantra
बेहतरीन जज़्बात हैं, निम्न पंक्तियाँ विशेष रूप से अच्छी लगीं(ज्यादा अच्छी, हा हा हा)
जवाब देंहटाएं"आपको लगता है आप हैं फ़रिश्ता
आपको भी हो गई है बदगुमानी
उनको कुछ भी याद अब आता नहीं
हमको बातें याद हैं सारी पुरानी
और लोगो को भले फुसला ही लो
खुद से तुम न कर सकोगे बेईमानी"
नववर्ष की आपको भी शुभकामनायें।
फूल से ज्यादा उगा रक्खे हैं काँटे
जवाब देंहटाएंजाने कैसी कर रहे वे बागवानी
***बहुत खूब!
अच्छी भावों को समेटे हुए है यह रचना .
आप को भी नववर्ष 2011 की अग्रिम शुभकामनाएँ
@ अल्पना वर्मा
जवाब देंहटाएंशब्द साधना में पधारने और इस रचना को पसंद करने के लिए आपका आभार।
नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित...
सोमेश
somesh ji
जवाब देंहटाएंkvita adbhut hai .
bdhai .
आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें ...स्वीकार करें
जवाब देंहटाएंनया वर्ष आपको भी बहुविध मंगलमय हो !
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना....अच्छी लगी.
जवाब देंहटाएंनव वर्ष पर आप को ढेर सारी बधाइयाँ.
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'पाखी की दुनिया' में नए साल का पहला दिन.
बहुत सुंदर सामेश भाई। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं---------
मिल गया खुशियों का ठिकाना।