शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

वापसी: एक अरसे के बाद

एक मुद्दत के बाद इस चिठ्ठे पर कोई पोस्ट कर रहा हूँ। लगभग साढ़े तीन साल के बाद। पर इसका यह मतलब कतई नहीं है कि मैं पुराना चिट्ठाकार हूँ, दरअसल तब नया-नया चिटठा जगत से परिचित हुआ था तो सोचा मैं  भी चिटठा बना लूँ सो बना लिया। पर कुल जमा चार-पांच पोस्ट तक आकर ही रुक गया सो कायदे से चिट्ठाकार भी न बन पाया। तब कुछ व्यस्तताएँ और चिंताएँ ऐसी थीं कि मेरी प्राथमिकताओं में ब्लॉगिंग बहुत नीचे चला गया था। तो चिट्ठे से एक दूरी सी बन गई जो कि वक्त के साथ बढ़ती गई। फिर कुछ ऐसी भी बातें थीं जिनके चलते ब्लॉगिंग मे मेरी रुचि भी कम हो गई। लिखना भले ही बंद कर दिया हो पर अपने पसंद के चिट्ठों को कभी कभार पढ़ जरूर लेता था। हालाँकि नियमित नहीं रहा। फिर यह हुआ कि चिट्ठा जगत से ही दूर हो गया।

काफी अरसे के बाद एक बार फिर चिट्ठा जगत में प्रविष्ट हुआ। बहुत से बदलाव देखने को मिले। हिन्दी चिट्ठाकारों की संख्या भी कई गुना बढ़ चुकी है। वैसे तो तब भी  कम चिट्ठाकार नहीं थे। ( अफ़सोस हे कि यह भी नहीं कह सकता कि तब से हिंदी चिट्ठाकारी से जुड़ा हूँ जब यह अपने शुरुआती दौर मे था ) कुछ चीज़ें अच्छी लगी तो कुछ बुरी भी लगी। खैर ये चर्चा फिर कभी सही।

तो साहब पिछले कुछ दिनों से फिर से चिट्ठाकारी शुरू करने का मन बना रहा था, शायद अब इसके लिए
थोड़ा समय भी निकाल सकूँ। पहले सोचा नया चिठ्ठा बनाऊं फिर सोचा जब बना बनाया रखा ही है तो क्यों उसी मरे हुए ब्लॉग को फिर जिंदा किया जाए। तो नतीजा आपके सामने है अपने पुराने चिट्ठे को घिस-घिसु के, चमका-धमका के, रंगाई- पुताई कर के फिर से बाज़ार मे उतार दिया। पुराना कबाड़ (पोस्ट और टिप्पणियाँ ) साफ़ नहीं किया ताकि सनद रहे कि हम पहले भी चिट्ठाकारी कर चुके हैं।

अब देखते हैं इस बार ये सिलसिला कहाँ तक जाता है !!!