
बहुत से लोगो ने मुझसे पूछा कि मैंने ब्लॉग लिखना बंद क्यों किया? दरअसल इसके बहुत से कारण हैं। एक तो यह कि तब कुछ व्यस्तताओं के चलते अधिक समय ब्लॉग को नहीं दे पाया। काफी समय तक इंटरनेट और कंप्यूटर कि अनुपलब्धता भी रही। फिर स्वभाव से ही आलसी हूँ तो लिखने मैं भी आलस करता रहा, और मुझमें इतनी प्रतिभा भी नहीं है कि निरंतर सृजन करता रहूँ। एक कारण यह भी है कि हिंदी ब्लॉग जगत से मेरा मन भी कुछ उचट सा गया था। यहाँ का चलन कि टिप्पणियों कि संख्या ही ब्लॉग कि लोकप्रियता और गुणवत्ता का प्रमाण माना जाता है, मुझे निराश सा करता रहा। बहुत से ऐसे ब्लॉग मिले जो बिलकुल भी स्तरीय और पठनीय नहीं हैं पर उनमें कमेंट्स कि लाइन लगी होती है। कमेंट के बदले कमेंट की परिपाटी ने हिंदी ब्लॉग का बहुत नुक्सान किया है। पर जैसा मैंने कहा कि यह एकमात्र कारण नहीं है। बहुत से बेहतरीन ब्लॉग्स भी मुझे पढ़ने को मिले, पर ऐसे ब्लॉग्स का प्रतिशत बहुत कम है। बाद में मैं फेसबुक पर थोडा सक्रिय हो गया और वहाँ विचार व्यक्त करना ब्लॉग से ज्यादा आसान और सुविधाजनक है इसलिए भी ब्लॉग पर लिखना टलता गया।
अब ब्लॉग तो मैंने फिर से शुरू कर दिया है मगर इसे नियमित रूप से कर पाउँगा इसमें मुझे गहरा संदेह है। कारण वही सब है जो मैंने ऊपर लिखे हैं। इसलिए इस बार मैंने खुद के लिए दो नियम बनाये हैं -
- कोई भी पोस्ट तभी लिखूंगा जब वास्तव में लिखने के लिए मेरे पास कुछ हो। केवल पोस्ट्स की संख्या या नियमितता बढ़ाने के लिए कभी नहीं लिखूंगा, चाहे दो पोस्ट्स के बीच कितना भी समय अंतराल हो।