बुधवार, 15 दिसंबर 2010

क्योंकि हर बात की एक हद होती है

पेश हैं कुछ हल्के-फ़ुल्के गुदगुदाते जुमले। इनमें से कुछ तो मैने E-mails और sms से संकलित और अनुवादित किए हैं और बाकी अपने तरफ से जोड़े हैं। उम्मीद है आपके चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के अपने उद्देश्य में कामयाब रहूँगा।
गोपनीयता की हद:
जब कोई किसी को ’ब्लेंक विज़िटिंग कार्ड’ दे...

बुद्धिमानी की हद:
जब कोई कोरे कागज़ की फोटो कॉपी करवाए...

भुलक्कड़पने की हद:
जब कोई आइना देखकर याद करने की कोशिश करे कि पहले इसे कहाँ देखा है...

मूर्खता की हद:
जब कोई ’ग्लास डोर’ के ’की होल’ से अंदर झाँककर देखने की कोशिश कर रहा हो...

ईमानदारी की हद:
जब कोई गर्भवती महिला डेढ़ टिकट लेकर यात्रा करे...

आलस की हद:
जब कोई ’मॉर्निंग वाक’ पर निकले और घर जाने के लिए ’लिफ्ट’ मांगे...

आत्महत्या की हद:
जब कोई बौना मरने के लिए ’फुटपाथ’ से कूदे...

निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) की हद:
जब कोई गाय दूध पाउडर दे...

कंजूसी की हद:
जब किसी के घर में आग लग जाए और वह ’फायर ब्रिगेड’ को ’मिस्ड कॉल’ करता रहे...

देशभक्ति की हद:
जब कोई अपने देश की माटी में पड़े गोबर और मल को भी माथे से लगाए...

नियम कायदे की हद:
जब कोई सरकारी अधिकारी ’घूस’ की भी रसीद दे...

प्यार की हद:
जब प्रेमिका के मरने के बाद प्रेमी उसकी चिता पर बिस्तर लगाकर सोना शुरू कर दे।

फैशन की हद:
जब कोई धोती में जिप लगाकर घूमे....



अब कुछ हद ब्लॉगर्स के लिए:



दीवानगी की हद 1:
जब किसी ब्लॉगर का ’रोड एक्सीडेंट’ हो जाए और सड़क किनारे पड़े पड़े, एंबुलेंस के आने तक वह अपने मोबाइल/ लेपटॉप पर इस अनुभव पर पोस्ट लिखना शुरु कर दे...

दीवानगी की हद 2:
जब किसी ब्लॉगर का मेजर ऑपरेशन होने वाला हो और ’ओ.टी.’ में जाने के बाद डॉक्टर से कहे -"ऑपरेशन से पहले प्लीज़ मुझे देखने दो मेरे पोस्ट पर कोई नयी टिप्पणी तो नहीं आई"...

नाउम्मीदी की हद:
जब कोई ब्लॉगर 100 ब्लॉग्स पर टिप्पणी करे और बदले में उसे सिर्फ़ 2 टिप्पणियां मिलें...

अहसानफ़रामोशी की हद:
जब कोई आपके सारे ब्लॉग्स को फॉलो कर रहा हो और पिछले साल भर से आपके हर अच्छे-बुरे, तुके-बेतुके  पोस्ट पर टिप्पणी कर रहा हो और आप उसके ब्लॉग पर एक बार झांकने भी न जाएं...

और अंत में बेशर्मी की हद:

जब आप इस पोस्ट को पढ़कर मुस्कुरा रहे हों फिर भी बिना टिप्पणी किए चले जाएं... 



कार्टून्स साभार: गूगल इमेज सर्च

22 टिप्‍पणियां:

  1. कमाल की हदें बताई भाई जान... ब्लोग्गर्स वाली हदों की तो हद कर यार!!! :-) :-) :-)


    प्रेमरस.कॉम

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  2. हा हा हा हा... बढ़िया collection..
    मज़ा आ गया..
    और आखिरी बात ने टिप्पणी के लिए मजबूर कर दिया
    :D :D

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  3. सोमेश जी ,आज पता चला कि हमारे जीवन में कितनी हदें हैं

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  4. मस्त है सोमेश भाई, मजा आ गया।

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  5. वाह सर जी आप तो छा गये.........................

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  6. sari haden to apne ee post padhwa ke
    torwa di.....bas ek besharmi ki had
    hum bina tore chale ja rahe hain...

    sadar

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  7. और आज मैं अपनी नाक पर चश्‍मा चढ़ाये अखबार पढ़ने के लिए आधे घंटे तक चश्‍मा तलाशता रहा और जब धर्मपत्‍नी ने जानना चाहा कि सुबह-सुबह इतने परेशान क्‍यों हो, मैंने कहा कि देख नहीं रही हो हाथ में अखबार हैं, इन्‍हें पढ़ने के लिए चश्‍मा ढूंढ रहा हूं तो उन्‍होंने कहा कि चश्‍मा नाक पर रखा है। फिर ऐसी आंखों और ऐसे चश्‍मे का क्‍या लाभ, जो आमने-सामने होकर भी एक-दूसरे की तलाश में मारे-मारे फिर रहे हैं। पर फिर भी मैंने खैर मनाई कि उसके बाद मुझे हाथ में पकड़े अखबार नहीं ढूंढ़ने पड़े, इसकी भी तो हद बतला दो सोमेश भाई।
    विज्ञान भवन रिहर्सल का एक अस्‍पष्‍ट वीडियो

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  8. @ गोल्डी
    ओ जी आप की टिप्पणी पा के मैं धन्य हो गया। अब तो तुस्सी भी ब्लॉगिंग शुरु कर दो। कोई दिक्कत हो तो मैं हूँ न।

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  9. आप सभी मित्रों और वरिष्ठजनों को मेरा धन्यवाद और आभार।

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  10. @ अविनाश जी

    शायद ये विद्वता की हद है जी। विद्वान लोग अक्सर थोड़े भुलक्कड़ होते ही हैं।

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  11. सोमेश भाई, आपकी सोच काबिले तारीफ है। सुंदर चिंतन, सार्थक चिंतन।

    ---------
    प्रेत साधने वाले।
    रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्‍या?

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  12. ओह्ह्ह !!!
    बिना टिप्पणी किये नहीं जा सकता :(

    वैसे बाकी चीजें तो अपनी जगह ठीक हैं , लेकिन ब्लोगर्स की दीवानगी की हदों पर पहली बार पढने को मिला | अच्छा लगा |

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  13. ज़ाकिर जी, नीरज जी और राहुल जी आप सभी का आभार।

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  14. @ मो सम कौन? (संजय जी)
    आपका स्वागत और आपकी बात सर आँखो पर। मगर जनाब ये भी बता देते कि क्या बदमाशी की हमने तो कृपा होती। :)

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  15. @ ललित जी
    धन्यवाद, स्वागत है आपका।

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