शनिवार, 8 मार्च 2014

लडकियाँ खुश हैं (?)

विश्व महिला दिवस पर दो झलकियाँ:

'एक' 
वह लड़की अपने भाई-बहनों में सबसे होशियार थी. बचपन से पढाई में अव्वल थी. नृत्य, संगीत और पेंटिंग आदि में भी रूचि रखती थी. सभी को उम्मीद थी कि बड़ी होकर वह बहुत नाम कमाएगी. अच्छा करियर बनाएगी. ग्रेजुएशन होते ही उसकी शादी हो गयी. उसका पति एक बड़े शहर में, एक बड़ी कंपनी में काम करता है. बहुत अच्छे पैसे कमाता है. शादी के कुछ साल बाद ही पति ने एक फ्लैट खरीद लिया, कार, ए. सी. जैसी तमाम सुख-सुविधाएँ इकट्ठी कर लीं. अब वह हाउस वाइफ है और बच्चों को बड़ा कर रही है. अपनी सहेलियों के साथ किटी पार्टीज करती है. पैसों का भरपूर उपयोग करती है. पर अब उसकी सारी इच्छाएँ पति के अधीन हैं-

"इनको मेरा डांस करना पसंद नहीं है इसलिए अब डांस नहीं करती."
"इनको मेरा गाना गाना पसंद नहीं है इसलिए गाना नहीं गाती."
"इनको मेरा जींस पहनना पसंद नहीं है, वैसे भी मुझे साड़ी पहनना ही अच्छा लगता है."
"आप लोग जाओ फिल्म देखने मुझे इनसे पूछना पड़ेगा."
 "नहीं, शादी में मैं नहीं आ पाऊँगी. इनके पास समय नहीं है और अकेले ये मुझे आने नहीं  देते."

रोज पति और बच्चों की पसंद का खाना बनाते हुए वह सोचती है कि उसकी लाइफ कितनी अच्छी है. टी. वी. पर महिला उत्पीडन और घरेलु हिंसा की ख़बरें देखकर सोचती है कि शुक्र है मुझे इन सबसे नहीं गुजरना पड़ा.

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'दो'

वह मेरे एक मित्र की रिश्तेदार थी. एक छोटे से कस्बे से इस बड़े शहर में पढ़ने आयी थी. एक बार संयोग से उससे मुलाक़ात हुई. बातों बातों में उसने कहा कि उसने भी फेसबुक प्रोफाइल बनाया था पर 'भैया'  ने कहा डिलीट कर दो तो  डिलीट कर दिया. फिर और भी बातें निकलती गयीं भैया के बारे में.

"मुझे तो लम्बे बाल ज्यादा पसंद नहीं है पर भैया कटवाने नहीं देते."
"मेरे आने जाने का टिकट भैया ही करके देते हैं."
"भैया बोलते हैं होस्टल में मत रहना. वहां का माहौल अच्छा नहीं होता"
"भैया मेरी पढाई का बहुत ध्यान रखते हैं, कुछ भी होता है तो उन्ही से कहती हूँ."
"मेरे लिए राशन और साबुन वगैरह भैया ही ला देते हैं, महीने में दो तीन बार यहाँ आकर देख लेते हैं कुछ जरुरत तो नहीं है. फ़ालतू में फ़िज़ूल खर्च करने को मना करते हैं."

यह सब कहते समय उसके चेहरे के भावों और बातों से कहीं ऐसा नहीं लगा कि उसे अपने भैया से कोई शिकायत है. उल्टा भैया की तारीफ़ ही करती रही.  उसके भैया के बारे में मेरी उत्सुकता बढ़ गयी थी. बाहर आते ही मैंने मित्र से इस बारे में पूछा. उसने बताया कि उसका "भैया" उससे दो साल छोटा है और दसवीं में दो बार फ़ैल हो चूका है.

सुन कर मैं अवाक रह गया.

(Painting: Three Girls by Amrita Sher-Gil)