शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

एक अकेली और उदास लड़की की ब्लॉग कथा

वह लड़की अकेली थी। अकेली और उदास। कोई साथी नहीं था उसका। अकेले अपने कमरे में बैठे बैठे सपने बुना करती थी। सपने जिनके सच होने की उम्मीद भी उसने छोड़ दी थी। वो चाहती थी कोई उसके साथ बात करे, उससे झगड़े, उसे मनाए, उसे बहलाए, उसके सपने सुने पर कोई नहीं था जो ये सब करता।

एक दिन उसे ब्लॉग के बारे में पता चला, उसने सोचा चलो जी बहला रहेगा और उसने एक ब्लॉग बना लिया। ब्लॉग में उसने अपने सपनों को सजाना शुरू कर दिया। अपनी कल्पना और रचनात्मकता से उसने ब्लॉग मे ही अपनी दुनिया बना ली।

उसने ब्लॉग में एक झील बनाई, झील के किनारे पहाड़ बनाया, झील के दुसरे सिरे में एक सुन्दर पार्क बनाया और उस पार्क में एक बेंच बनाई। उस बेंच पर बैठकर वो झील और पहाड़ के खूबसूरती को निहारा करती और सोचा करती। सोचा करती अपने अकेलेपन के बारे में, अपनी उदासी के बारे में और अपने जीवन के बारे में। सोचते सोचते उसने इन पर कविता लिखना शुरू कर दिया। उन कविताओं को भी उसने अपने ब्लॉग पर सजाना शुरू कर दिया। अपने सपनों के ब्लॉग में, सपनों की झील किनारे, सपनों के पार्क में, सपनों के बेंच में बैठ वह उन कविताओं को गुनगुनाया करती।

एक दिन जब वह अपनी एक कविता गुनगुना रही थी एक लड़का उसके पास आकर उसकी कविता सुनने लगा। लड़की ने जब कविता ख़त्म की तो लड़के ने ताली बजाई और उसकी प्रशंसा की। लड़की झेंप गई. उसने लड़के को देखा। लड़का उसी के उम्र का था। सुकुमार सा। उसके चेहरे पर कोमल भाव थे। लड़की को वो बिलकुल अपना सा लगा।  लड़का लड़की के पास ही बैठ गया। लड़के ने लड़की के कविता की तरीफ़ की। लड़की ने शुक्रिया कहा। लड़के ने बताया कि उसका भी एक ब्लॉग है और वह घूमते घूमते यहाँ आ गया। दोनो बैठकर बातें करने लगे। लड़के ने लड़की को अपनी कविताएं सुनाई। लड़की को पसंद आईं। दोनो देर तक बातें करते रहे। एक दूसरे के बारे में जानते रहे। लड़की को लड़के से बात करना बहुत अच्छा लगा।

अब दोनो अक्सर वहाँ मिलने लगे। मिलते और घंटों बातें करते। लड़की को लड़के का साथ बहुत अच्छा लगता। उससे बात करते हुए उसे लगता के समय थमा रहे। पर समय नहीं थमता और लड़की के अपने ब्लॉग से निकलकर अपने कमरे में जाने का समय हो जाता। फिर मिलने का वादा करके दोनो विदा होते। लड़की अब खुश रहने लगी। उसे सबकुछ अच्छा लगने लगा। उसने अब उदासी और अकेलेपन की कविताएं लिखना छोड़ दिया।

लड़की ने खुशियों पर लिखना शुरु किया, रंगो पर लिखना शुरु किया, खुशबू पर लिखना शुरु किया। वह लिखती, लड़का पढ़ता, जब लड़के को पसंद आतीं तो उसे अपना लिखना सार्थक लगता। वह और लिखती, और खुश होती। इस तरह उन्हे मिलते मिलते कुछ समय बीत गया।

एक दिन लड़के ने लड़की का हाथ पकड़ा। लड़की रोमांचित हो गई। उसके सारे शरीर में तरंगे दोड़ने लगीं। लड़के ने लड़की से कहा कि वो उससे प्यार करता है और उसके बिना नहीं रह सकता। यह सुन कर लड़की को लगा कि उसने अपनी जीवन में इससे अच्छी और प्यारी बात कभी नहीं सुनी थी। लड़की खुशी से पागल हो गई। उसने लड़के से कहा कि वो भी उसे बहुत प्यार करती है।

लड़की अब प्रेम में डूब चुकी थी।


क्रमशः (अगले भाग में समाप्य )


Painting Title: "Dream Lake", Artist: Robert Wood (1889-1979)
(Courtesy: http://www.robertwood.net)


44 टिप्‍पणियां:

  1. वाह अति सुंदर . एक बेहतरीन अंदाज़ और अच्छी कहानी

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  2. आगे की कहानी का इन्तजार रहेगा|

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  3. वाह सोमेश,
    आनन्द आ गया पढने में। वर्चुअल दुनिया में ऐसा भी लग सकता है? सोचता हूँ तो लगता है, ऐसा जरूर माह्सूस हो सकता होगा। सच में बहुत रोचक लग रही है।
    और ये क्या लिखा है, अगले अंक में समाप्य? याद है न तुम्हारा ऐतराज? :))
    इंतज़ार है अगली कड़ी का।

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  4. वाह रे व्लाग तूने तो किसी की ज़िंदगी में रंग भर दिया कहानी आगे क्या होगी सोचना मुश्किल .

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  5. लड़की अब खुश रहने लगी। उसे सबकुछ अच्छा लगने लगा। उसने अब उदासी और अकेलेपन की कविताएं लिखना छोड़ दिया।.... .jisne pyar ko samjh liya wah phir akelepan ke wah kahan baat karta... bahut sahi nayen andaajbhari kahani... .
    ..apni bhawanao ke vyakt mein mein blog sach mein saarthak, sugam madhayam banta jaa raha hai...

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  6. वाह! बहुत खूब!
    अगली किस्त और सब करना भैये लेकिन अब लड़की को दुबारा उदास मत करना।

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  7. कहानी नहीं हकीकत लग रही है।
    सामाप्‍य नहीं संपन्‍न होती हैं ऐसी कथाएं।
    शुभ आशीर्वाद।

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  8. बहुत ही गहरे एहसास के साथ सुंदर कहानी........ अब देखते है की ये सपना एक खुबसूरत मोड़ पाता है नहीं..........

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  9. भगवान ने इंसान को एक चीज़ ऐसी दी है, जिस पर उसे खुद भी फख्र होता होगा, वो है प्यार | सोमेश , बेहद प्यारी कहानी है , ऐसे ही धीमे अहसासों को कहानी में बनाये रखिये ..

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  10. अच्‍छी कहानी, एक ही सांस में पढने की कोशिश की लेकिन आपने विराम दे दिया। अगले अंक का यानि क्‍लाईमेक्‍स का इंतजार रहेगा।

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  11. बिल्कुल कविता की तरह लिखी कहानी है | अब देखते है की आभासी दुनिया की प्रेम गाथा का अंत कहा और कैसा होता है | वैसे सच में ब्लॉग पा कुछ ऐसा देखा सुना ये बस कहानी ही है |

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  12. उदास लड़की को ब्लॉग तक ब्लॉग से ख़ुशी तक तो खींच लाये .....
    अब आगे फिर न उदास कर दीजियेगा .....
    इन्तजार है .....

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  13. अभी तक तो सब-कुछ ठीक-ठाक है,मुझे लगता है अगली किश्त में लड़की अपनी ब्लागरीय दुनिया से निकलकर ज़मीनी हक़ीकत को पहचानेगी और तब उसे अंतरजाल का फ़र्क महसूस होगा !

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  14. किसी के उदास जीवन में खुशियों के रंग भरना आसान नहीं ...
    इन दोनों के लिए मंगल कामनाएं !

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  15. कंही ये खुद आपकी अपनी दास्ताँ तो नहीं हैं, वैसे बहुत ही खुबसूरत हैं.

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  16. उस लड़की को इस दुनिया की असली सच्चई से जरूर अवगत कराये अगली पोस्ट में

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  17. एक अनूठी प्रेम कहानी, जो खतों में है ढली,
    Pls promote/vote for my blog at above url

    http://www.indiblogger.in/blogger/29751/

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  18. सब कुछ जादूई असर पैदा करने वाला है.. महौल, सम्वाद और शब्दचित्र!! हरमन हेस की एक कहानी टुकड़ों में याद आ रही है!!
    जितना पीछा छुड़ाना चाहता हूँ इस क्रमशः से उतना ही गतांक से जारी होता जाता है!!चलिये रिसीविंग एण्ड पर रहने वालों को ये झेलना ही पड‌ता है, अच्छा है यह झेलना भी!!

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  19. @ एस.एम.मासूम जी
    शुक्रिया.

    @ Learn By Watch
    आपका स्वागत है. आभार.

    @ संजय जी
    निश्चिन्त रहें दादा कहानी जल्दबाजी में ख़त्म नहीं करूंगा. अंत से आप मुतमईन रहेंगे भरोसा है मुझे.

    @ सुनील कुमार जी
    स्वागत है आपका. आगे की कहानी के लिए ज्यादा इंतज़ार नहीं कराउंगा.

    @ कविता रावत जी
    शुक्रिया. ब्लॉग के बारे में आपका कहना सही है.

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  20. @ अनूप शुक्ल जी
    आपका 'वाह! बहुत खूब!' मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान हैं सर. बहुत आभार :)

    @ अविनाश वाचस्पति जी
    धन्यवाद सर. अपना आशीर्वाद बनाए रखिए.

    @ एहसास
    धन्यवाद. आपका स्वागत है.

    @ प्रवीण पाण्डेय जी
    आपकी ये टिप्पणी पढ़कर मुझे भी आनंद आ गया :)

    @ उपेन्द्र जी
    धन्यवाद. हम भी देखते हैं :)

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  21. @ नीरज जी
    शुक्रिया नीरज भाई.

    @ अतुल जी
    क्लाइमेक्स जल्द ही आयेगा. थोड़ा और सब्र कर लें. स्वागत एवं आभार.

    @ अंशुमाला जी
    सच में ये बस कहानी ही है जी, और इस प्रेम गाथा का अंत तो मुझे भी जानना है कि कैसा होता है. :)

    @ हरकीरत ' हीर' जी
    आगे क्या कहूँ कि क्या होगा. आपके साथ मैं भी इंतज़ार कर रहा हूँ.

    @ अदा जी
    अभिनन्दन, धन्यवाद एवं आभार :)

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  22. @ संतोष त्रिवेदी जी
    देखते हैं क्या होता है? वैसे लगता तो मुझे भी यही है.

    @ सतीश सक्सेना जी
    आभार सर.

    @ तारकेश्वर गिरी जी
    दास्ताँ किसी कि भी हो आपको खूबसूरत लगी मेरा लिखना सार्थक हो गया :)
    धन्यवाद एवं स्वागतम

    @ कुश्वंश जी
    सच्चाई से अवगत कराने वाला मैं कौन होता हूँ जी. उम्मीद करता हूँ वो खुद ही जान जाए.
    धन्यवाद एवं स्वागतम.

    @ अतुल जी
    बिलकुल वोट करेंगे. पहले पढ़ लें जरा.

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  23. अत्यन्त सुन्दर प्रस्तुति.
    अगली कडी की प्रतिक्षा सहित...

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  24. उदासी और अकेलेपन की कवितायें लिखनी छोड दिया
    मुझे भी खुशी हो रही है:)
    आशा है अगली किस्त में भी फूल ही खिलेंगे।

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  25. एक अनूठी प्रेम कहानी

    http://unluckyblackstar.blogspot.com/

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  26. @ सलिल जी
    यदि क्रमशः न करता तो आपकी ये जादुई टिप्पणी कैसे पाता? :)

    @ वंदना जी
    आपने मेरी रचना को इस योग्य समझा इस के लिए आभार.

    @ सुशील बाकलीवाल जी
    बहुत धन्यवाद

    @ अंतर सोहिल (अमित जी)
    आपकी खुशी में ही हमारी खुशी है :)

    @ ओम कश्यप
    धन्यवाद. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है :)

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  27. बहुत प्यारी सी कहानी...सुंदर प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  28. कहानी वाकई बहुत सुंदर और मीठी लगी. मुझे लगता है कि लडकी को लडके ने उदासी के माहोल से तो बाहर निकाल लिया पर इब इसके बाद जो होगा उसकी कल्पना से ही .......:)

    रामराम.

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  29. समाचार की शुरुआत और कहानी का अंत ही प्रबल होता है -अंत पर ए भावों को व्यक्त करूंगा -अभी क्या कहूं ?

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  30. संयोग से मैं भी एक कहानीकार हूं। और कहानीकार के नजरिए से कहूं तो कहानी खत्‍म हो गई है। कोई प्रेम में डूब जाए उसके बाद उससे आप क्‍या अपेक्षा करते हैं। दुनिया में हर प्रेम करने वाला इस एक शब्‍द यानी डूब के लिए जिंदगी भर तरसता रहता है। इसका दूसरा भाग हो ही नहीं सकता। जो होगा वह एक अलग कहानी होगी।
    *
    हां इस कहानी को थोड़ा और रोचक बनाया जा सकता है। बहरहाल कहानी में जो सबसे आवश्‍यक गुण होना चाहिए -प्रवाह-वह इसमें है।

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  31. ये ब्लाग का कमाल है। हम जैसे बूढे लोगों की उदासी भी हर लेता है ये ब्लाग प्रेम। अच्छी कहानी बनेगी इसे आगे बढाओ। शुभकामनायें।

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  32. @ Dorothy
    शुक्रिया, आभार, स्वागतम।

    @ ताऊ रामपुरिया
    ताऊ जी आप मेरे ब्लॉग पर आए आपकी इनायत है। कहानी पसंद करने के लिए धन्यवाद। :)

    @ अरविंद मिश्रा जी
    आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

    @ राजेश उत्‍साही जी
    इस टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी बात सही है, एक तरह से कहानी खत्म हो चुकी है। अगले भाग को एक अलग कहानी मानकर ही लिख रहा हूँ इसीलिए इस कहानी के शीर्षक में मैने भाग 1 नहीं लिखा था। पर ये भी सच है कि जहाँ एक कहानी खत्म होती है वहीं दूसरी कहानी शुरु होती है।

    @ निर्मला कपिला जी
    धन्यवाद आपका। ब्लॉग सच में कमाल की चीज़ है। अपना आशीर्वाद बनाए रखिए।

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  33. मिठास बहुत है इस कहानी में, सही कहा सलिल जी ने, जादुई

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  34. बहुत प्यारी सी कहानी...सुंदर प्रस्तुति.

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  35. वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !
    आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

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  36. वाह ...बहुत खूब
    लगा ही नहीं की कहानी पढ़ रहे हैं
    इन्तजार है आगे .......

    आप बहुत अच्छा लिखते हैं
    बधाई

    आभार

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  37. बहुत सुन्दर कहानी ..आगे क्या हुआ?... .अच्छा लगा....

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  38. @ अविनाश चन्द्र जी
    @ संजय भास्कर जी
    @ क्रिएटिव मंच-Creative मंच
    @ अमृता तन्मय जी
    @ ज़ाकिर अली ‘रजनीश' जी

    आप सभी का बहुत बहुत आभार.

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  39. रोचक कहानी । शायद सुखद अंत ही होगा।

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