शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

प्रेम में डूबी हुई लड़की की ब्लॉग कथा

कथासूत्र को समझने के लिए इस कहानी को पढ़ने से पूर्व इसकी पूर्वकथा को पढ़ना उचित रहेगा।
लड़की अब पूरी तरह प्रेम में डूब चुकी थी।

वह दिन रात लड़के के ही ख्यालों में खोई रहती। उसने अब प्रेम कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था। प्रेम और खुशियों की कविताएँ। दोनों अक्सर मिला करते। देर तक बातें करते और साथ में सपने बुनते। सपने, जो अब दोनों के साझा सपने थे। अब दोनों ब्लॉग की सीमा से भी परे हो गए। ब्लॉग के बाहर भी दोनों ने मिलना शुरू कर दिया। लड़का लड़की को उन सभी जगहों पर लेकर जाता जहाँ वो जाना चाहती थी और वे सारी चीज़ें दिखाता जो वो देखना चाहती थी। लड़का लड़की को अपने ब्लॉग पर भी लेकर गया। अपनी रचनात्मकता से भी उसे परिचित कराया।

इस तरह लड़की के पास खूबसूरत लम्हों का खजाना  इकठ्ठा होता गया। जब लड़का उसके साथ नहीं होता तो वो इस खजाने की पोटली को खोलती और एक एक लम्हे को याद करके फिर से जीती।

एक दिन लड़के ने लड़की से कहा के वो उससे एकांत में मिलना चाहता है।
"कहाँ?" लड़की ने पूछा।
"कहीं भी" लड़के ने कहा।
"तुम्हारे घर?"
"नहीं, वहाँ नहीं मिल सकते।"
"फिर?"
"फिर जहाँ भी तुम ले चलो।"

फिर लड़की ने अपने सपनों के संसार में एक सपनों का घर बनाया, ब्लॉग से बाहर। लड़की ने उसे नाम दिया - हमारा घर। दोनों उसी सपनों के घर में मिले और वहीं प्रथम बार लड़के के अधरों ने लड़की के अधरों को स्पर्श किया। लड़की असीम सुख में डूब गयी। और वही घर उन दो प्रेम में डूबे देहों के मिलन का गवाह भी बना। लड़की को लगा के अब उसने अपने होने का अर्थ पा लिया है। उसे लगा के अब वो मर भी जाये तो उसे कोई दुःख नहीं होगा। दोनों अब भावनात्मक, वैचारिक, रचनात्मक और दैहिक हर स्तर पर प्यार में डूब चुके थे।

काफी दिनों तक दोनों का प्रेम यूं ही चलता रहा। एक दिन लड़के ने लड़की से कहा कि अब तुम्हे कहानियाँ लिखना चाहिए। लड़की ने लड़के के कहने पर लिखी एक प्रेम कहानी। लड़के ने कहानी की प्रशंसा की और कहा कि इसे आगे बढ़ाओ। तुम्हारा मूल ध्येय सृजन करना है। इसके लिए यदि कुछ त्याग भी करना पड़े तो कोई बात नहीं लिखती रहो। लड़की सम्मोहित हो गयी। लड़का चला गया और लड़की अपने सपनों के घर में बैठकर लिखने लगी।

लड़की अकेले में बैठकर कहानी लिखती और लड़के का इंतजार भी करती रहती। लड़का शाम को आता लड़की का लिखा पढ़ता, तारीफ करता और लड़की को प्यार करता फिर वापस लौट जाता।  लड़की फिर से लिखने बैठ जाती। वो लिखती क्योंकि लड़का पढता।  लड़के का पढ़ना लड़की के लिखने को सार्थक कर जाता। धीरे धीरे लड़के ने आना भी कम कर दिया। अब वो दो-तीन दिन में एक बार आने लगा। लड़की के कहने पर वो कहता कि वो नहीं चाहता कि उसके आने से लड़की का कार्य बाधित हो। लड़की ने प्रेम की खातिर यह भी स्वीकार कर लिया।

एक बार ऐसा हुआ कि लड़का चार तक भी नहीं आया। लड़की को लड़के की बहुत याद आ रही थी पर उसे लगा शायद लड़का व्यस्त होगा। अगले दिन भी लड़का नहीं आया तो लड़की को चिंता  होने लगी। उसने लड़के से संपर्क करना चाहा पर ये भी न हो पाया। लड़की ने फिर भी इंतजार किया पर लड़का अगले दिन भी नहीं आया। अब लड़की की चिंता और बढ़ गई। लड़के के बिना उसे रहा भी नहीं जा रहा था। वो निकल पड़ी लड़के को ढूँढने। सबसे पहले लड़की अपने ब्लॉग पर गई उसी बेंच पर जहाँ वो उससे पहली बार मिली थी। लड़का वहाँ नहीं था। फिर लड़की उन सभी जगहों पर भटकती रही जहाँ जहाँ वो लड़के के साथ गई थी। पर लड़का कहीं भी नहीं मिला।

लड़की अब बदहवास हो गई थी। उसे जैसे कुछ याद आया और वो भागते भागते लड़के के ब्लॉग पर पहुँची। लड़की ने देखा कि लड़का वहाँ लड़का किसी और लड़की के साथ बैठा हुआ था। लड़का उस लड़की का हाथ पकड़कर बैठा था ठीक वैसे ही जैसे इसका हाथ पकड़ता था। लड़का उस लड़की की आँखों में झाँक रहा था ठीक वैसे ही जैसे इसकी आँखों में झांकता था। लड़का उस लड़की की कविताओं की प्रशंसा करा रहा था ठीक वैसे ही जैसे इसकी कविताओं की करता था। और फिर जिन कानों से लड़की अपनी तारीफ सुना करती थी उन्ही कानों से उसने सुना लड़का उस लड़की से कहा रहा था -यदि तुम साथ दो तो हम हम बहुत कुछ कर सकते हैं। तुम और मैं। बस तुम और मैं। मेरा जीवन बस तुमसे ही ख़त्म होता है और बस तुमसे ही शुरू....

लड़की से आगे न कुछ देखा गया और न सुना गया, वो भागकर अपने कमरे में आ गयी। लड़की ने कहानी को फाड़कर फेंक दिया। लड़की रोने लगी। लड़की रोती रही। इतना रोई कि उसके आंसुओं से उसके सारे सपने भींग गए। और फिर आंसुओं से भीगे हुए उन कच्चे रंगों पर हाथ फेरकर उसने अपने सारे सपने मिटा दिए। अपने सपनों का सारा संसार मिटा दिया।

लड़की ने ब्लॉग पे जाना छोड़ दिया।
लड़की ने कविताएँ लिखना छोड़ दिया
लड़की फिर से अकेली हो गई।
लड़की  फिर से उदास हो गई

(समाप्त) 


Painting Title: "  Spring's Bounty", Artist: Robert Wood (1889-1979)
(Courtesy: http://www.robertwood.net)

33 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय अनूप शुक्ल जी एवं आदरणीया हरकीरत 'हीर' जी, माफी चाहता हूँ पर लड़की को दोबारा उदास करना मेरी मजबूरी थी. यदि इस कहानी का कोई और अंत हो सकता तो मैं जरूर लिखता.

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  2. लड़की को ब्लॉग से दूर न करें, उसे इतनी शक्ति दिलायें जिससे उसके भाव व्यक्त हो सकें।

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  3. कहते है प्यार इन्सान को और शक्तिशाली बना देता है और इन हालातो में उसे कमजोर भी बना देते है किन्तु आज की ब्लॉग लिखने वाली लड़की को इस तरह कमजोर होना अच्छा नहीं लगा और फिर अपने ही आँखों के सामने किसी और को भी उसी बर्बादी के रास्ते पर चलता देख युही छोड़ देना ................. खटक रहा है लड़की काफी कमजोर निकली |

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  4. सपने कम ही पूरे होते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सपने देखे ही न जायें।
    प्रेम कहानियां प्राय: इसी अंत को प्राप्त होती हैं।
    लड़की अगर फ़िर से लिखना शुरू कर देगी तो उसके लेखन में और धार आ जायेगी। दुख सृजनात्मकता को छील कर बहुत पैना कर देता है।
    एक सांस में पढ़ी है कहानी, आह भरी कहानी पर हमारी वाह-वाह स्वीकार की जाये।

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  5. अब तो प्रेमकथा के प्रारम्भ से हि विरह की बू सूँघना शुरू कर देते हैं... हमारे यहाँ असफल प्रेम को ही सच्चा प्रेम मान लिया गया है. वर्ना नॉर्मल रोमांस और शादी तो चर्चा के लायक ही नहीं होती.. लड़का और लड़की एक दूसरे से मिले, पसंद करने लगे और अंत में घर वालों ने रज़ामंदी से उनकी शादी करवा दी.. भला ये भी कोई कहानी हुई!!
    लेकिन आपने अपनी शैली से जिस तरह बाँधा है वो एक सिद्धहस्त लेखक की पहचान है.. कहीं भी सूत्र छूटता नहीं दिखता.. सचमुच एक बार में पूरा पढने वाली कहानी!!

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  6. लडकी पागल थी जो प्यार ओर वासना को समझ ना सकी, ओर लडके की बातो मे आ गई, अब ब्लाग लिख कर उस लडके की पोल पट्टी खोले ताकि अन्य भोली भाली लडकी भी इस तरह से पागल पन करने से बचे, इन गंदे लडके से...रोने से क्या होगा? ब्लाग ना लिखने से क्या होगा?

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  7. अरे, उसे लिखना बन्द न करवायें...अब तो दर्द उतरेगा लेखनी में..फिर दम देखना...

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  8. लड़की को सपनों को मिटाने की बजाय कागज/ब्लॉग पर उतारना चाहिए ...उसे खुश होना चाहिए की उस लड़के ने उसे सृजन की एक राह दिखाई जो उसकी व्यक्तिगत पूंजी है !उसे उस लड़के को धन्यवाद देना चाहिए जिसने उसकी रचनामक प्रतिभा को जगाया !

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  9. आप सभी सुधी पाठकों का मानना है कि लड़की को लिखना और ब्लॉगिँग करना नहीं छोड़ना चाहिए। मेरा भी यही मानना है पर जो इन हालात से गुजरा है वही समझ सकता है कि ऐसे में लिखना तो दूर कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती, यहाँ तक कि जीने की इच्छा भी खत्म हो जाती है। बहुत गहरा घाव होता है ये और भरने में काफी वक्त लगता है। फिर ये लड़की तो वैसे भी बहुत भावुक है इतनी जल्दी कैसे उबर सकती है।

    लड़की फिर से लिखना जरूर शुरू करेगी और ब्लॉग पे भी वापसी करेगी। बस उसे कुछ समय दीजिए, अभी तो वो खुद से और जिंदगी से जूझ रही है।

    अंशूमाला जी निश्चिँत रहिए लड़की कमजोर साबित नहीं होगी।

    अपनी राय व्यक्त करने के लिए आप सभी का आभार।

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  10. बढ़िया कहानी , और सारे कमेंट्स से सहमत

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  11. तोफिर इंतज़ार रहेगा लडकी की वापसी का और एक सशक्त लेखिका के रूप मे जहाँ वो अपने दर्द और अनुभवो से सबको अवगत करायेगी…………अब उसकी लेखनी ही सब बोलेगी यही उम्मीद करती हूँ समझ सकती हूँ उसकी मानसिक स्थिति कैसी होगी और उसे इससे उबरने के लिये वक्त भी चाहिये………और हमे उस वक्त का इंतज़ार है।

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  12. हिम्मत-ए-मरदां...मदद-ए-खुदा...

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  13. विषम स्थितियां जीवन में आती ही हैं...हौसला रखना चाहिए।

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  14. सचमुच एक बार में पूरा पढने वाली कहानी!!

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  15. लेकिन अगर जब भी वो लड़की दुबारा लिखेगी .......... उसका लिखा बहुत ही यथार्थपरक और गहराई युक्त होगा. हर धूप के बाद छाव जरुर आती है मगर छाव पाने के लिये तो धूप से जलना ही पड़ता है.................... उम्मीद पर दुनिया कायम है. विषमतायें तो जिन्दगी के सिक्के के दो पहलू है कभी चित तो कभी पट.

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  16. .

    बहुत अच्छी लगी कहानी । प्यार में लड़कियों की नियति कुछ तयशुदा सी होती है ।

    Quite realistic story !

    .

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  17. सबने तो सब कुछ लिख ही दिया, यह शैली बहुत अच्छी लगी।
    मुझे भी भरोसा है कि लड़की फिर से लिखेगी, जीवनक्रम कब रुका है?
    हालांकि उदास लेखन में संभवतः अधिक धार होती हो, पर मैं चाहूँगा कि वो खुशनुमा ही लिखे।

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  18. लिखते रहने से लड़की के अन्दर आत्मविश्वास पैदा होगा जिससे उसे जीवन का नया अर्थ मिल सकेगा !

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  19. कहानी अच्छी चल रही है । अगली कडी की प्रतिक्षा में...

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  20. सुशील जी मैने अपनी तरफ से कहानी समाप्त कर दी है इसलिए कृपया अगली कड़ी की प्रतीक्षा न करें।
    लड़की अब आगे क्या करेगी और लिखना कब शुरू करेगी ये मैने लड़की पर ही छोड़ दिया है।

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  21. सोमेश जी देरी से आने के लिये क्षमा चाहता हूँ .
    कहानी बहुत अच्छी लगी ।

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  22. आज फिर कुछ लिखने की तमन्ना जागी है
    आज फिर किसी ने मेरा दिल तोड़ा है शायद।
    अति सुंदर।

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  23. बस रुला दिया न ......?
    पर सच्चाई है आपकी कहानी में ....
    आज का प्रेम ऐसा ही होता है ......
    जानती हूँ उस लड़की में इतनी शक्ति तो आ ही जाएगी की वो ब्लॉग फिर से शुरू करे .....
    यही तो जीवन है उजाले के बाद अँधेरा ....अँधेरे के बाद उजाला .....

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  24. कहानी को पढ़ने एवं अपने एवं प्रतिक्रिया देने के लिए मैं आप सभी महानुभावों का आभार व्यक्त करता हूँ.

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  25. somesh ji...mantrmugdh kar diya is katha ne...ek saans se pakda is kahani ka sira..aur antim sire tak saans wahi saans leta gaya...

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  26. स्वप्निल कुमार जी
    इन शब्दों के लिए हार्दिक आभार। Its a big compliment for me :)

    स्वागत है आपका।

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  27. अब तक की मेरी सबसे छोटी टिप्पणी -
    ' स्टुपिड लड़की ! पर प्यारी लड़की !'

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  28. Ae dost teri dosti per naaz karte hai
    Har waqt milne ki fariyaad karte hai
    Hame nahi pata gharwale batate hai
    Hum neend mein bhi aapse baat karte hai.

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  29. Sir we should never rely on an ending like this,
    don't u think it should have been a better ending if she had explored some new dimensions into her writing.
    Waiting for an Epilogue..
    Thanks.

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